राज्य में सेब, नाशपाती उद्धार करेगी कुलपतियों की समिति

- मुख्यमंत्री ने सुझाव के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए।
- जंगली जानवरों से खेती को नुकसान से रोकने और ऐरोमैटिक पौधों की खेती पर विशेष फोकस के निर्देश।
- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान, रेशम विकास विभागों की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं।
किसानों के स्किल डेवलपमेंट की योजना बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक और माइक्रो इरीगेशन का लाभ अधिकतम गांवों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए।
सीएम आवास में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान, रेशम विकास विभागों की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में सेब व अन्य फलों की खेती को आधुनिकतम तकनीक के उपयोग द्वारा लाभप्रद बनाया जाए।
आवश्यकता होने पर दूसरी किस्मों से बदला भी जा सकता है।
इसके लिए औद्यानिकी विभाग ठोस काम करे।
किसानों के स्किल डेवलपमेंट के लिए योजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने राज्य में सेब, नाशपाती सहित अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण व विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक किसानों के लिए काफी लाभप्रद हो रहे हैं।
प्रयास किए जाएं कि अधिक से अधिक गांव इसके अंतर्गत आ सकें।
माइका्रे इरीगेशन पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
विभाग इसके लिए कार्ययोजना बनाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में एक बड़ी समस्या जंगली जानवरों के कारण आ रही है।
सूअर, बंदर आदि जानवरों से खेती को होने वाले नुकसान का व्यापक सर्वे किया जाए।
जिन क्षेत्रों में समस्या ज्यादा गम्भीर है, वहां प्राथमिकता के आधार पर तार-बाड़, दीवार आदि बनाने का काम किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती का और विस्तार किए जाने की जरूरत है।
जैविक उत्पादों के विपणन के लिए ग्रोथ सेंटरों का उपयोग किया जाए।
नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे जैविक कृषि के लिए चयनित गांवों में मानिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
किसान सम्मान निधि में किसी तरह की शिकायत न आए। इसके